2595.पूर्णिका
2595.पूर्णिका
🌷 इतना भी नादान नहीं 🌷
22 22 22 2
इतना भी नादान नहीं ।
नजरों की पहचान नहीं ।।
कह देते दिल की बातें ।
रहता यूं अंजान नहीं ।।
रोज खरीदे चाहे जो ।
बिकते क्या सामान नहीं ।।
जाने समझे माने हम ।
करते कब कुरबान नहीं ।।
पथ कटरीला चल खेदू ।
मंजिल भी बेजान नहीं ।।
………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
11-10-2023बुधवार