खुद के साथ ....खुशी से रहना......
छुपा है सदियों का दर्द दिल के अंदर कैसा
शहर को मेरे अब शर्म सी आने लगी है
तेरा "आप" से "तुम" तक आना यक़ीनन बड़ी बात है।
कई बचपन की साँसें - बंद है गुब्बारों में
विश्व हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
तेवरी-आन्दोलन युगानुरूप + शिव योगी
घाव मरहम से छिपाए जाते है,
ऐ ख़ुदा इस साल कुछ नया कर दें
Tu mujhmein samata jaa rha hai ,
*अपना-अपना दृष्टिकोण ही, न्यायाधीश सुनाएगा (हिंदी गजल)*
तड़के जब आँखें खुलीं, उपजा एक विचार।
नूतन संरचना
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
क्रोध
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर