जिस्म से जान जैसे जुदा हो रही है...
रख हौसले बुलंद तेरी भी उड़ान होगी,
पल पल रंग बदलती है दुनिया
राह मुझको दिखाना, गर गलत कदम हो मेरा
कितना भी आवश्यक या जरूरी काम हो
गलतियाँ करना ''''अरे नही गलतियाँ होना मानव स्वभाव है ।
क़यामत ही आई वो आकर मिला है
तुम्हारी आँख से जब आँख मिलती है मेरी जाना,
दीपों की माला
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
दे दो हमें मोदी जी(ओपीएस)
*जीवन साथी धन्य है, नमस्कार सौ बार (पॉंच दोहे)*
भारतीय ग्रंथों में लिखा है- “गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुर
ऐ ख़ुदा इस साल कुछ नया कर दें
है धरा पर पाप का हर अभिश्राप बाकी!