ज़िन्दगी में जो ताक़त बनकर आते हैं
स्त्री सबकी चुगली अपने पसंदीदा पुरुष से ज़रूर करती है
*स्वजन जो आज भी रूठे हैं, उनसे मेल हो जाए (मुक्तक)*
यदि आप बार बार शिकायत करने की जगह
(14) जान बेवजह निकली / जान बेवफा निकली
!! गुजर जायेंगे दुःख के पल !!
यादों की महफिल सजी, दर्द हुए गुलजार ।
बसंत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
23/151.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
*बदलता_है_समय_एहसास_और_नजरिया*
यह जो पापा की परियां होती हैं, ना..'
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
शिवांश को जन्म दिवस की बधाई
तेरे होने का जिसमें किस्सा है
घाट किनारे है गीत पुकारे, आजा रे ऐ मीत हमारे…
"इशारे" कविता
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
इस नयी फसल में, कैसी कोपलें ये आयीं है।