अभिमान
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
I met myself in a weed-flower field,
*अच्छे बच्चे (बाल कविता)*
सुदामा कृष्ण के द्वार (1)
हे राम! तुम्हें शिरसा प्रणाम
अपने दिल में चोर लिए बैठे हैं
"कुछ तो गुना गुना रही हो"
हम भी जिंदगी भर उम्मीदों के साए में चलें,
हर मनुष्य के अंदर नेतृत्व की भावना होनी चाहिए।
जिन्दगी हर क़दम पर दो रास्ते देती है