झीमिर-झीमिर बरसा मा, धरती के अंतस जुड़ागे।
सच्ची मोहब्बत भी यूं मुस्कुरा उठी,
दो दिलों में तनातनी क्यों है - संदीप ठाकुर
ख़ास तो बहुत थे हम भी उसके लिए...
चांद दिलकश चेहरा छुपाने लगा है
*शादी की जो आयु थी, अब पढ़ने की आयु (कुंडलिया)*
वक्त के धारों के साथ बहना
हर दर्द से था वाकिफ हर रोज़ मर रहा हूं ।
चिल्लाने के लिए ताकत की जरूरत नहीं पड़ती,
मैं दुआ करता हूं तू उसको मुकम्मल कर दे,
पारिवारिक समस्या आज घर-घर पहुॅंच रही है!
*** तोड़ दिया घरोंदा तूने ,तुझे क्या मिला ***
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार