प्रदूषण
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
बददुआ देना मेरा काम नहीं है,
जहां सत्य है वहां पवित्रता है, प्रेम है, एक आत्मिक शांति और
विषय: शब्द विद्या:- स्वछंद कविता
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इस ज़िंदगी के रंग कई होते हैं...
दो दिन की जिंदगी है अपना बना ले कोई।
राम के जैसा पावन हो, वो नाम एक भी नहीं सुना।
काव्य की आत्मा और सात्विक बुद्धि +रमेशराज
बधाई हो बधाई, नये साल की बधाई
हँसती है कभी , रुलाती भी है दुनिया।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
कहावत है कि आप घोड़े को घसीट कर पानी तक ले जा सकते हैं, पर म
पड़ जाएँ मिरे जिस्म पे लाख़ आबले 'अकबर'
*पल्लव काव्य मंच द्वारा कवि सम्मेलन, पुस्तकों का लोकार्पण तथ
पिता के जाने के बाद स्मृति में