मैं पतंग, तु डोर मेरे जीवन की
हैं श्री राम करूणानिधान जन जन तक पहुंचे करुणाई।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
लोगों की मजबूरी नहीं समझ सकते
'प्रेमिकाएं' चाहती रही.. 'अर्धांगिनी' कहलाने का हक
गंगा- सेवा के दस दिन (नौंवां दिन)
सोना ही रहना उचित नहीं, आओ हम कुंदन में ढलें।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
ख्वाबों में भी तेरा ख्याल मुझे सताता है
Learn the things with dedication, so that you can adjust wel
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मैं प्रेम लिखूं जब कागज़ पर।
ग़ज़ल _ यूँ नज़र से तुम हमको 🌹
एक दिन मजदूरी को, देते हो खैरात।
कभी कभी ज़िंदगी में जैसे आप देखना चाहते आप इंसान को वैसे हीं
***** शिकवा शिकायत नहीं ****
चाहे लाख महरूमियां हो मुझमे,