माईया पधारो घर द्वारे
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
पसंद तो आ गई तस्वीर, यह आपकी हमको
अगर मेरे अस्तित्व को कविता का नाम दूँ, तो इस कविता के भावार
तस्वीर देख कर सिहर उठा था मन, सत्य मरता रहा और झूठ मारता रहा…
Learn the things with dedication, so that you can adjust wel
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
तमाम आरजूओं के बीच बस एक तुम्हारी तमन्ना,
जो लोग ये कहते हैं कि सारे काम सरकार नहीं कर सकती, कुछ कार्य
*नेता बेचारा फॅंसा, कभी जेल है बेल (कुंडलिया)*
मैं इन्सान हूं, इन्सान ही रहने दो।
माँ का प्यार
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
न जागने की जिद भी अच्छी है हुजूर, मोल आखिर कौन लेगा राह की द
आज इंसान के चेहरे पर चेहरे,