शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
होता ओझल जा रहा, देखा हुआ अतीत (कुंडलिया)
अगले जन्म मोहे बिटिया न कीजे.
#जिन्दगी ने मुझको जीना सिखा दिया#
यह दुनिया सिर्फ उनका हाल-चाल पूछती है, जिनके हालात ठीक है, त
क्या गिला क्या शिकायत होगी,
The Sky Longed For The Earth, So The Clouds Set Themselves Free.
राजनीति में शुचिता के, अटल एक पैगाम थे
चिरंतन सत्य
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद