Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Oct 2023 · 1 min read

2573.पूर्णिका

2573.पूर्णिका
🌷⚘हाथों में खंजर देखिए 🌷⚘
22 22 2212
हाथों में खंजर देखिए ।
कातिल कत्ल मंजर देखिए ।।
सब लोग यहाँ है बेदर्दी ।
ऐसे वैसे मंजर देखिए ।।
आज ठिकाना अपना नहीं ।
बदले बदले मंजर देखिए ।।
साजन भूखे हम प्यार के ।
बेदिल हरदम मंजर देखिए ।।
आज कहानी खेदू यही ।
रूठे रूठे मंजर देखिए ।।
………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
7-10-2123शनिवार

238 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"सलीका"
Dr. Kishan tandon kranti
जिंदगी में रंजो गम बेशुमार है
जिंदगी में रंजो गम बेशुमार है
इंजी. संजय श्रीवास्तव
आन-बान-शान हमारी हिंदी भाषा
आन-बान-शान हमारी हिंदी भाषा
Raju Gajbhiye
*शून्य से दहाई का सफ़र*
*शून्य से दहाई का सफ़र*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
खयालों ख्वाब पर कब्जा मुझे अच्छा नहीं लगता
खयालों ख्वाब पर कब्जा मुझे अच्छा नहीं लगता
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
चाँद के माथे पे शायद .......
चाँद के माथे पे शायद .......
sushil sarna
कुदरत है बड़ी कारसाज
कुदरत है बड़ी कारसाज
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Someday you'll look back and realize that you overcame all o
Someday you'll look back and realize that you overcame all o
पूर्वार्थ
साथ बिताए कुछ लम्हे
साथ बिताए कुछ लम्हे
Chitra Bisht
बुंदेली दोहे- गउ (गैया)
बुंदेली दोहे- गउ (गैया)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
3841.💐 *पूर्णिका* 💐
3841.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
लड़को की योग्यता पर सवाल क्यो
लड़को की योग्यता पर सवाल क्यो
भरत कुमार सोलंकी
जब कोई हो पानी के बिन……….
जब कोई हो पानी के बिन……….
shabina. Naaz
पहले की औरतों के भी ख़्वाब कई सजते थे,
पहले की औरतों के भी ख़्वाब कई सजते थे,
Ajit Kumar "Karn"
पतझड़ के मौसम हो तो पेड़ों को संभलना पड़ता है
पतझड़ के मौसम हो तो पेड़ों को संभलना पड़ता है
कवि दीपक बवेजा
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Sushila joshi
सृजन तेरी कवितायें
सृजन तेरी कवितायें
Satish Srijan
..
..
*प्रणय*
अंत में पैसा केवल
अंत में पैसा केवल
Aarti sirsat
क्या ये किसी कलंक से कम है
क्या ये किसी कलंक से कम है
Dr.Pratibha Prakash
काव्य की आत्मा और औचित्य +रमेशराज
काव्य की आत्मा और औचित्य +रमेशराज
कवि रमेशराज
!! युवा !!
!! युवा !!
Akash Yadav
*करता है मस्तिष्क ही, जग में सारे काम (कुंडलिया)*
*करता है मस्तिष्क ही, जग में सारे काम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
आया पर्व पुनीत....
आया पर्व पुनीत....
डॉ.सीमा अग्रवाल
" आखिर कब तक ...आखिर कब तक मोदी जी "
DrLakshman Jha Parimal
शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपदा।
शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपदा।
अनिल "आदर्श"
पिछले पन्ने 3
पिछले पन्ने 3
Paras Nath Jha
हुनर है झुकने का जिसमें दरक नहीं पाता
हुनर है झुकने का जिसमें दरक नहीं पाता
Anis Shah
बीजारोपण
बीजारोपण
आर एस आघात
बचपन की मोहब्बत
बचपन की मोहब्बत
Surinder blackpen
Loading...