वक्त हालत कुछ भी ठीक नहीं है अभी।
कभी धूप तो कभी खुशियों की छांव होगी,
दिन अंधेरे हैं, सबक चमकते हैं,
"समझदार लोग किसी की ईंट के बदले पत्थर नहीं फेंकते। ईंटों को
स्वागत है इस नूतन का यह वर्ष सदा सुखदायक हो।
मेरी माँ
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
कुण्डलियां छंद-विधान-विजय कुमार पाण्डेय 'प्यासा'
बहर-ए-ज़मज़मा मुतदारिक मुसद्दस मुज़ाफ़
नया ट्रैफिक-प्लान (बाल कविता)
प्यार करें भी तो किससे, हर जज़्बात में खलइश है।