ज़माना साथ था कल तक तो लगता था अधूरा हूँ।
बनि गेलहूँ मित्र त तकैत रहू ,
दिवाली के दिन सुरन की सब्जी खाना क्यों अनिवार्य है? मेरे दाद
इतनी शिद्दत से रहा इन्तज़ार मुझे।
भगवती दुर्गा तेरी महिमा- भजन -अरविंद भारद्वाज
लूट कर चैन दिल की दुनिया का ,
नज़र को नज़रिए की तलाश होती है,
समाधान से खत्म हों,आपस की तकरार
उम्र ढली तो ही जाना, महत्व जोबन का।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
सिर्फ व्यवहारिक तौर पर निभाये गए
हर हाल में बढ़ना पथिक का कर्म है।
रवींद्र नाथ टैगोर
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
***************गणेश-वंदन**************
हिंदी दोहे-प्राण
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'