सुबह की तलब की चाय तुम हो।
शिक्षा होने से खुद को स्वतंत्र और पैसा होने से खुद को
बदन खुशबुओं से महकाना छोड़ दे
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
लब पे खामोशियों के पहरे थे।
नहीं होते यूं ही रिश्तें खत्म
देव दीपावली कार्तिक पूर्णिमा
अपने अंदर करुणा रखो आवेश नहीं मेघ की वर्षा से पुष्प खिलते है
अटल सत्य मौत ही है (सत्य की खोज)
स्वार्थी मान्छे (#नेपाली_भाषा)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
चलते-फिरते लिखी गई है,ग़ज़ल
कहमुकरी (मुकरिया) छंद विधान (सउदाहरण)