कितना रोके मगर मुश्किल से निकल जाती है
गर्मी की छुट्टी में होमवर्क (बाल कविता )
भले ही शरीर में खून न हो पर जुनून जरूर होना चाहिए।
मेरी तकलीफ़ पे तुझको भी रोना चाहिए।
बिहार से एक महत्वपूर्ण दलित आत्मकथा का प्रकाशन / MUSAFIR BAITHA
मुझ पर तुम्हारे इश्क का साया नहीं होता।
राह नहीं मंजिल नहीं बस अनजाना सफर है
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
हमें लगा कि वो, गए-गुजरे निकले
🌺हे परम पिता हे परमेश्वर 🙏🏻
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
!!! सदा रखें मन प्रसन्न !!!
मैं नहीं तो, मेरा अंश ,काम मेरा यह करेगा