मैं जिस तरह रहता हूं क्या वो भी रह लेगा
ख़ैर कुछ और दिन लगेंगे तुमसे कुछ कहने को,
आपके छोटे-छोटे मीठे आचार-व्यवहार,
"इन्तेहा" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
अक्षर ज्ञानी ही, कट्टर बनता है।
24/237. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
इस मौसम की पहली फुहार आई है
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में रमेशराज के व्यवस्था-विरोध के गीत
जो परिवार और रिश्ते आपने मुद्दे आपस में संवाद करके समझ बूझ
यूं ही हमारी दोस्ती का सिलसिला रहे।
सृष्टि का अंतिम सत्य प्रेम है
सिय का जन्म उदार / माता सीता को समर्पित नवगीत
मेरी दोस्ती के लायक कोई यार नही
' पंकज उधास '
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
जीवनसाथी तुम ही हो मेरे, कोई और -नहीं।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
जितने लगाए तुमने हम पर इल्जामात ,