2565.पूर्णिका
2565.पूर्णिका
🌹 जान कर अनजान क्यूं 🌹
212 2212
जानकर अनजान क्यूं ।
भूलते पहचान क्यूं ।।
ये रिश्ता है प्यार का।
फिर यहाँ नादान क्यूं ।।
रोज महके जिंदगी ।
बालम परेशान क्यूं ।।
यूं मिले तकदीर से ।
सब करें कुरबान क्यूं ।
दे खुशी खेदू जहाँ ।
ना रखे अरमान क्यूं ।।
……….✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
6-10-2123शुक्रवार