2559.पूर्णिका
2559.पूर्णिका
🌷 किसका कौन यहाँ साथी 🌷
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रहता मौन यहाँ साथी।
किसका कौन यहाँ साथी।।
साथ निभाते कहाँ कोई।
अपना कौन यहाँ साथी।।
हारी बाजी पलट जाते ।
कहता कौन यहाँ साथी।।
रास्ता नापे सजन बन के।
बढ़ता कौन यहाँ साथी।।
खिलती है जिंदगी खेदू।
साथी कौन यहाँ साथी
…….✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
5-10-2123गुरूवार