2557.पूर्णिका
2557.पूर्णिका
🌷जीवन कितना अनमोल है 🌷
22 22 2212
जीवन अपना अनमोल है ।
सुंदर अपना भूगोल है ।।
फूलो से ये महके जहाँ ।
कोयल सी मीठी बोल है ।।
कलकल करती बहती नदी।
जंगल मनमोहक खोल है ।।
दुनिया प्यारी अपने बने।
प्यार यहाँ घोले घोल है ।।
मरना जीना खेदू लेखा।
माटी सोना बेहद मोल है ।।
……..✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
4-10-2023बुधवार