कई मौसम गुज़र गये तेरे इंतज़ार में।
जो उसने दर्द झेला जानता है।
वापस लौट आते हैं मेरे कदम
EVERYTHING HAPPENS AS IT SHOULD
परो को खोल उड़ने को कहा था तुमसे
किस्मत भी न जाने क्यों...
मोहब्बत की राहों मे चलना सिखाये कोई।
जब तक हम जीवित रहते हैं तो हम सबसे डरते हैं
जिन स्वप्नों में जीना चाही
मेरी खूबसूरती बदन के ऊपर नहीं,
*जब जन्म लिया तो मरना है, मरने से कैसा घबराना (राधेश्यामी छं
किया पोषित जिन्होंने, प्रेम का वरदान देकर,
चिरैया पूछेंगी एक दिन
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '