समंदर में नदी की तरह ये मिलने नहीं जाता
अफसोस मेरे दिल पे ये रहेगा उम्र भर ।
*छोड़कर जब माँ को जातीं, बेटियाँ ससुराल में ( हिंदी गजल/गीति
बदलने लगते है लोगो के हाव भाव जब।
शिक्षा और संस्कार जीवंत जीवन के
मैं रात भर मैं बीमार थीऔर वो रातभर जागती रही
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
मंत्र: वंदे वंछितालाभाय चंद्रार्धकृत शेखराम् । वृषारूढाम् शू
तुम में और मुझ में कौन है बेहतर
समस्याओं के स्थान पर समाधान पर अधिक चिंतन होना चाहिए,क्योंकि
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'