2556.पूर्णिका
2556.पूर्णिका
🌷बस फूल की चाहत रखते 🌷
2212 22 22
बस फूल की चाहत रखते।
सब कूल की चाहत रखते ।।
बदले नहीं फितरत अपनी।
रोज गुल की चाहत रखते।।
कहते यहाँ दुनिया सबकी ।
दिल शूल की चाहत रखते।।
जाना कहाँ मालूम नहीं ।
क्यों पूल की चाहत रखते ।।
है नासमझ हम तो खेदू।
जग मूल की चाहत रखते ।।
……..✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
4-10-2023बुधवार