*चाँदी को मत मानिए, कभी स्वर्ण से हीन ( कुंडलिया )*
आँशुओ ने कहा अब इस तरह बहा जाय
मुझे जब भी तुम प्यार से देखती हो
फ़ुरसत से निकालों वक्त, या अपना वक्त अपने पास रखो;
समय
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
एक गरीब की इज्जत अमीर की शोहरत से कई गुना अधिक बढ़ के होती ह
जितना रोज ऊपर वाले भगवान को मनाते हो ना उतना नीचे वाले इंसान
आखिर कब तक ऐसा होगा???
Anamika Tiwari 'annpurna '
ग़ज़ल _ अँधेरों रूबरू मिलना, तुम्हें किस्सा सुनाना है ।
चलते हुए मैंने जाना डगर में,
आना भी तय होता है,जाना भी तय होता है
ब्रह्म मुहूर्त में बिस्तर त्याग सब सुख समृद्धि का आधार