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3 Oct 2023 · 1 min read

2550.पूर्णिका

2550.पूर्णिका
🌷खुद को सँभाला है 🌷
22 22 22
खुद को सँभाला है ।
अपनों ने पाला है ।।
रात गई है देखो।
दिन आने वाला है ।।
चल के आई मंजिल ।
पैरों में छाला है ।।
रोज खुले दरवाजा ।
चाबी है ताला है ।।
साथ तराशें खेदू।
सांचा में ढ़ाला है ।।
……….✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
3-10-2023मंगलवार

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