परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - १)
हनुमत पूंछ चूमता देखा, रावण सोचा पूंछ है प्यारी। आग लगा दो प
तेरी मौजूदगी में तेरी दुनिया कौन देखेगा
खुद से मिल
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
मैं जानता हूं नफरतों का आलम क्या होगा
किस तरिया रोने तै डट ज्या बैठा बाजी हार के
1857 की क्रान्ति में दलित वीरांगना रणबीरी वाल्मीकि का योगदान / Role of dalit virangana Ranbiri Valmiki in 1857 revolution
गुजिश्ता साल तेरा हाथ, मेरे हाथ में था
ज्ञान से शिक्षित, व्यवहार से अनपढ़