फिर दिल मेरा बेचैन न हो,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मिला जो इक दफा वो हर दफा मिलता नहीं यारों - डी के निवातिया
मदिरा वह धीमा जहर है जो केवल सेवन करने वाले को ही नहीं बल्कि
तुम्हें अहसास है कितना तुम्हे दिल चाहता है पर।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
You lived through it, you learned from it, now it's time to
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
जो संस्कार अपने क़ानून तोड़ देते है,
बुराई कर मगर सुन हार होती है अदावत की
*हारा कब हारा नहीं, दिलवाया जब हार (हास्य कुंडलिया)*
*स्वर्ग तुल्य सुन्दर सा है परिवार हमारा*
जिसने शौक को दफ़्नाकर अपने आप से समझौता किया है। वह इंसान इस
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
शायरी
Jayvind Singh Ngariya Ji Datia MP 475661