2548.पूर्णिका
2548.पूर्णिका
🌷 जूते भी चप्पल भी खाते 🌷
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जूते भी चप्पल भी खाते।
दुनिया हमको कहाँ भाते।।
कौन यहाँ लागमानी है ।
प्यारे इंसान भरमाते।।
अपनी कैसी कहानी है ।
अपने बालम न शरमाते।।
रंगीली रात में देखो ।
पीते है क्या नहीं खाते।।
बैठे बेकार है खेदू ।
आते हैं ना कहीं जाते।।
………..✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
3-10-2023मंगलवार