हुआ जो मिलन, बाद मुद्दत्तों के, हम बिखर गए,
जून का महीना जो बीतने वाला है,
मन में जीत की आशा होनी चाहिए
सम्बन्ध (नील पदम् के दोहे)
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
सपने जब तक पल रहे, उत्साही इंसान【कुंडलिया】
दिल हमारा तुम्हारा धड़कने लगा।
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
खिड़कियां हवा और प्रकाश को खींचने की एक सुगम यंत्र है।
अगर ख़ुदा बनते पत्थर को तराश के
*नशा तेरे प्यार का है छाया अब तक*
It's not always about the sweet kisses or romantic gestures.
देव-कृपा / कहानीकार : Buddhsharan Hans