अनपढ़ को अंधेरे से उजाले की तरफ,, ले जाने वाले हमारे प्यारे श
मरा नहीं हूं इसीलिए अभी भी जिंदा हूं ,
अब रिश्तों का व्यापार यहां बखूबी चलता है
सदविचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जो लिखा है वही मिलेगा हमें ,
उम्र भर मलाल रहेगा कि तुम मेरे ना हो पाए
दर-बदर की ठोकरें जिन्को दिखातीं राह हैं
निलय निकास का नियम अडिग है
******** रुख्सार से यूँ न खेला करे ***********
दुनिया का सबसे बड़ा पुण्य का काम किसी के चेहरे पर मुस्कान ला
सूत जी, पुराणों के व्याख्यान कर्ता ।।
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
गर्मियों में किस तरह से, ढल रही है जिंदगी।
*हर समय सरल व्यवहार रखो, कटु बातों से परहेज करो (राधेश्यामी
जैसे-जैसे आप बड़े होते जाते हैं, आपको यह एहसास होता जाता है
वक्त रुकता नहीं कभी भी ठहरकर,
तुम्हारी बात कैसे काट दूँ,
ज़रूरी नहीं के मोहब्बत में हर कोई शायर बन जाए,