नववर्ष में
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
जो रास्ते हमें चलना सीखाते हैं.....
*यों खुली हुई ऑंखों से तो, जग ही दिखलाई देता है (राधेश्यामी
यूं उन लोगों ने न जाने क्या क्या कहानी बनाई,
इज्जत कितनी देनी है जब ये लिबास तय करता है
मत फैला तू हाथ अब उसके सामने
हमेशा सब कुछ एक जैसा नहीं रहता ,