मैं भी कोई प्रीत करूँ....!
singh kunwar sarvendra vikram
मुझे मेरी ""औकात ""बताने वालों का शुक्रिया ।
रोज़ दरवाज़े खटखटाती है मेरी तन्हाइयां,
खिलखिलाते हैं उसे देखकर बहुत से लोग,
*णमोकार मंत्र (बाल कविता)*
समय ही तो हमारी जिंदगी हैं
पीकर चलना नारियल , करना तू प्रयास ।
दलित साहित्य / ओमप्रकाश वाल्मीकि और प्रह्लाद चंद्र दास की कहानी के दलित नायकों का तुलनात्मक अध्ययन // आनंद प्रवीण//Anandpravin
🙏 * गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
उतरे हैं निगाह से वे लोग भी पुराने
।।अथ श्री सत्यनारायण कथा तृतीय अध्याय।।
खिड़की के बाहर दिखती पहाड़ी