2483.पूर्णिका
2483.पूर्णिका
बदला हुआ यह दौर है
2212 2212
बदला हुआ यह दौर है ।
अपना जहाँ कुछ और है ।।
सच महकती ये जिंदगी ।
जिसने किया यूं गौर है ।।
हम मेहनत करते यहाँ ।
खाना यही बस कौर है ।।
दुनिया कहानी ही सुने।
भरते उजाला सौर है ।।
रखते यकीं खेदू सदा।
हरदम बने सिरमौर है ।।
……..✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
19-9-2023मंगलवार