2480.पूर्णिका
2480.पूर्णिका
🌹एक ही थाल सजन खाने वाले🌹
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एक ही थाल सजन खाने वाले ।
रोज ही गाल ये बजाने वाले ।।
रंक भी है सियासत का राजा ।
महफिलें साज ये सजाने वाले ।।
सच किसी बात का न परवाह यहाँ।
मचलते देख ये खजाने वाले ।। चाँदनी रात चांद भी पूनम की ।
रौशनी शान में पजाने वाले ।।
सेंकते रोटियाँ कभी खेदू अब ।
पेट भरते भला न जाने वाले ।।
…….✍डॉ.खेदू भारती”सत्येश”
17-9-2023रविवार