जीवन में कुछ करते रहो , एक जगह रहकर भी अपनी उपलब्धियों का अह
हे राम! तुम्हें शिरसा प्रणाम
सैनिक
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
*जब तक सही विचारों का, मृदु शुभागमन जारी है (मुक्तक)*
इब्तिदा से हमें नहीं मतलब,
इश्क़ अब बेहिसाब........, है तो है..!
संवेदनशीलता मानव की पहचान
उनसे ही धोखा मिला ,जिन पर किया यकीन
तुझे याद करता हूँ क्या तुम भी मुझे याद करती हो
लेखक होने का आदर्श यही होगा कि
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किस तरिया रोने तै डट ज्या बैठा बाजी हार के
लोगों की मजबूरी नहीं समझ सकते
जरूरत के वक्त जब अपने के वक्त और अपने की जरूरत हो उस वक्त वो