बापक भाषा
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
जो व्यक्ति कभी किसी से कोई उम्मीद नहीं रखता,
माँ का घर (नवगीत) मातृदिवस पर विशेष
हे दिल ओ दिल, तेरी याद बहुत आती है हमको
ये दौलत ये नफरत ये मोहब्बत हो गई
किसी के साथ सोना और किसी का होना दोनों में ज़मीन आसमान का फर
शुरुआत में खामोशी समझने वाले लोग
चलो हम तो खुश नहीं है तो ना सही।
जो लिख रहे हैं वो एक मज़बूत समाज दे सकते हैं और
*चलो नहाऍं आज चाँदनी में घूमें हम दोनों (मुक्तक)*
Don't Be Judgemental...!!
सन् २०२३ में,जो घटनाएं पहली बार हुईं
या सरकारी बन्दूक की गोलियाँ
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
मप्र लेखक संघ टीकमगढ़ की 313वीं कवि गोष्ठी रिपोर्ट
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मरना बेहतर जीना अब आसान नहीं।