चोरों की बस्ती में हल्ला है
मेरी आँखों से भी नींदों का रिश्ता टूट जाता है
आधा ही सही, कुछ वक्त तो हमनें भी गुजारा है,
*धूम मची है दुनिया-भर में, जन्मभूमि श्री राम की (गीत)*
प्रेम-सुधा की प्यास लिए यह
त्यागकर अपने भ्रम ये सारे
सृजन भाव का दिव्य अर्थ है (सजल)
खिड़कियां हवा और प्रकाश को खींचने की एक सुगम यंत्र है।
हनुमान वंदना । अंजनी सुत प्रभु, आप तो विशिष्ट हो।
मासुमियत है पर मासुम नहीं ,
तेरे कहने का अंदाज ये आवाज दे जाती है ।
काफी लोगो ने मेरे पढ़ने की तेहरिन को लेकर सवाल पूंछा
मुझको कभी भी आज़मा कर देख लेना
तेज धूप में वो जैसे पेड़ की शीतल छाँव है,
करके याद तुझे बना रहा हूँ अपने मिजाज को.....