सुविचार
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
कोशिश बहुत करता हूं कि दर्द ना छलके
आप कृष्ण सा प्रेम कर लो मुझसे,
यहां कुछ भी स्थाई नहीं है
वो अपने बंधन खुद तय करता है
कई खयालों में...!
singh kunwar sarvendra vikram
खिचड़ी यदि बर्तन पके,ठीक करे बीमार । प्यासा की कुण्डलिया
#यदि . . . !
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
समझ न पाया कोई मुझे क्यों
दग़ा तुमसे जब कोई, तेरा हमख़्वाब करेगा
आज बेरोजगारों की पहली सफ़ में बैठे हैं
बस एक प्रहार कटु वचन का मन बर्फ हो जाए