*आए दिन त्योहार के, मस्ती और उमंग (कुंडलिया)*
आज के ज़माने में असली हमदर्द वो, जो A का हाल A के बजाए B और C
चलेंगे साथ जब मिलके, नयी दुनियाँ बसा लेंगे !
आसमान की छोड़ धरा की बात करो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
शुक्रिया-ए-ज़िंदगी तेरी चाहतों में,
सीख (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
ऐसे नाराज़ अगर, होने लगोगे तुम हमसे
नस-नस में तू है तुझको भुलाएँ भी किस तरह
जिंदगी फूल है और कुछ भी नहीं
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )