एक दीप दिवाली पर शहीदों के नाम
ईश्क में यार थोड़ा सब्र करो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
दियो आहाँ ध्यान बढियाँ सं, जखन आहाँ लिखी रहल छी
"मोहि मन भावै स्नेह की बोली"
बता दिया करो मुझसे मेरी गलतिया!
क्षितिज पर उदित एक सहर तक, पाँवों को लेकर जाना है,
ज़िंदगी को अगर स्मूथली चलाना हो तो चु...या...पा में संलिप्त
आज, नदी क्यों इतना उदास है.....?
आता सबको याद है, अपना सुखद अतीत।
बुंदेली दोहा- अस्नान
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
तुमसे करता हूँ मोहब्बत मैं जैसी
■ चाल, चेहरा और चरित्र। लगभग एक सा।।
सुंदर दिखना अगर चाहते, भजो राम का नाम (गीत)