*अपनी मस्ती में जो जीता, दुख उसे भला क्या तोड़ेगा (राधेश्याम
विषय -किताबें सबकी दोस्त!
कभी भी दूसरो की बात सुनकर
अमेठी के दंगल में शायद ऐन वक्त पर फटेगा पोस्टर और निकलेगा "ज़
दहलीज़
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
#पीरपुष्प
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
-कलयुग में सब मिलावटी है -
"जलाओ दीप घंटा भी बजाओ याद पर रखना
कल्पित एक भोर पे आस टिकी थी, जिसकी ओस में तरुण कोपल जीवंत हुए।
हमें लगा कि वो, गए-गुजरे निकले
जीवन का हर पल बेहतर होता है।