Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Aug 2023 · 1 min read

2432.पूर्णिका

2432.पूर्णिका
🌷जो सोचा वो पाया हमने🌷
22 22 22 22
जो सोचा वो पाया हमने ।
सबका मान बढ़ाया हमने ।।
नफरत की ये दीवार मिटे।
जब भी हाथ बढ़ाया हमने ।।
सपनें देखें झूमे नाचे ।
मिलके सजन बढ़ाया हमने ।।
दुनिया की अजब कहानी है ।
अपना काम बढ़ाया हमने।।
जीवन महके हरदम खेदू ।
ऐसा कदम बढ़ाया हमने।।
………..✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
13-8-2023रविवार

594 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
न हम नजर से दूर है, न ही दिल से
न हम नजर से दूर है, न ही दिल से
Befikr Lafz
हम भी तो देखे
हम भी तो देखे
हिमांशु Kulshrestha
प्रोटोकॉल
प्रोटोकॉल
Dr. Pradeep Kumar Sharma
बाल कविता: नानी की बिल्ली
बाल कविता: नानी की बिल्ली
Rajesh Kumar Arjun
बुरे लोग अच्छे क्यों नहीं बन जाते
बुरे लोग अच्छे क्यों नहीं बन जाते
Sonam Puneet Dubey
3593.💐 *पूर्णिका* 💐
3593.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
अर्धांगनी
अर्धांगनी
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
“पथ रोके बैठी विपदा”
“पथ रोके बैठी विपदा”
Neeraj kumar Soni
‘ विरोधरस ‘---4. ‘विरोध-रस’ के अन्य आलम्बन- +रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---4. ‘विरोध-रस’ के अन्य आलम्बन- +रमेशराज
कवि रमेशराज
मेरी कलम आग उगलेगी...
मेरी कलम आग उगलेगी...
Ajit Kumar "Karn"
🙅सह-सम्बंध🙅
🙅सह-सम्बंध🙅
*प्रणय*
For a thought, you're eternity
For a thought, you're eternity
पूर्वार्थ
भोजपुरी गाने वर्तमान में इस लिए ट्रेंड ज्यादा कर रहे है क्यो
भोजपुरी गाने वर्तमान में इस लिए ट्रेंड ज्यादा कर रहे है क्यो
Rj Anand Prajapati
मायने मौत के
मायने मौत के
Dr fauzia Naseem shad
ज़रूरी ना समझा
ज़रूरी ना समझा
Madhuyanka Raj
दिवाली का अभिप्राय है परस्पर मिलना, जुलना और मिष्ठान खाना ,प
दिवाली का अभिप्राय है परस्पर मिलना, जुलना और मिष्ठान खाना ,प
ओनिका सेतिया 'अनु '
Thoughts are not
Thoughts are not
DrLakshman Jha Parimal
ख़बर थी अब ख़बर भी नहीं है यहां किसी को,
ख़बर थी अब ख़बर भी नहीं है यहां किसी को,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*बस यह समझो बॅंधा कमर पर, सबके टाइम-बम है (हिंदी गजल)*
*बस यह समझो बॅंधा कमर पर, सबके टाइम-बम है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
गंगा- सेवा के दस दिन (आठवां दिन)
गंगा- सेवा के दस दिन (आठवां दिन)
Kaushal Kishor Bhatt
प्यार करता हूं और निभाना चाहता हूं
प्यार करता हूं और निभाना चाहता हूं
इंजी. संजय श्रीवास्तव
भवप्रीता भवानी अरज सुनियौ...
भवप्रीता भवानी अरज सुनियौ...
निरुपमा
एक कथित रंग के चादर में लिपटे लोकतंत्र से जीवंत समाज की कल्प
एक कथित रंग के चादर में लिपटे लोकतंत्र से जीवंत समाज की कल्प
Anil Kumar
Mental Health
Mental Health
Bidyadhar Mantry
मचलते  है  जब   दिल  फ़िज़ा भी रंगीन लगती है,
मचलते है जब दिल फ़िज़ा भी रंगीन लगती है,
डी. के. निवातिया
कितना करता जीव यह ,
कितना करता जीव यह ,
sushil sarna
"जीवन का सबूत"
Dr. Kishan tandon kranti
नमाज़ों का पाबंद होकर के अपने
नमाज़ों का पाबंद होकर के अपने
Nazir Nazar
जाकर वहाँ मैं क्या करुँगा
जाकर वहाँ मैं क्या करुँगा
gurudeenverma198
Loading...