कोशिशों पर यक़ी करो अपनी ,
द्रुत विलम्बित छंद (गणतंत्रता दिवस)-'प्यासा"
*अफसर की बाधा दूर हो गई (लघु कथा)*
संभावना है जीवन, संभावना बड़ी है
वक्त-ए-रूखसती पे उसने पीछे मुड़ के देखा था
मस्तियाँ दे शौक़ दे माहौल भी दे ज़िन्दगी,
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
शोकहर छंद विधान (शुभांगी)
तुम मुझे भूल जाओ यह लाजिमी हैं ।
जब तुमने सहर्ष स्वीकारा है!
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
अरे इंसान हैं हम, भगवान नहीं!