हर ज़ुल्म सितम की अब दीवार गिरा दो तुम,
आप शिक्षकों को जिस तरह से अनुशासन सिखा और प्रचारित कर रहें ह
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए
अधूरेपन की बात अब मुझसे न कीजिए,
मेरी प्रतिभा
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
अमर स्वाधीनता सैनानी डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
जिंदगी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
उम्मीदें लगाना छोड़ दो...
श्रंगार लिखा ना जाता है– शहीदों के प्रति संवेदना।
मुज़रिम सी खड़ी बेपनाह प्यार में
अब क्या करोगे मेरा चेहरा पढ़कर,