24/251. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/251. छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
🌷 मनखे बेईमान हो जाथे 🌷
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मनखे बेईमान हो जाथे।
कइसन सब अंजान हो जाथे।।
दुनिया रोज बुड़े सुवारथ मा।
सच नाक इहां कान हो जाथे।।
कोन भगाही अंधियारी ला ।
अंजोर ह परसान हो जाथे।।
दुख के देवइया खुसी खोजत।
ये जिनगी सामान हो जाथे।।
राख भरोसा धर रद्दा खेदू।
बस आज समाधान हो जाथे।।
……..✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
06-03-2024बुधवार