24. *मेरी बेटी को मेरा संदेश*
“कशिश”….
भूली नहीं हूँ तुम्हें…
बस अब शोर नहीं करती।
तकलीफ होती है अक्सर बहुत…
पर अब गौर नहीं करती।
नजरें ढ़ूढ़ती हैं अब भी तुम्हें…
मालूम है कि तुम…
कहीं हो नहीं सकती।
बहुत टूट चुकी हूँ अब तो…
पर खुद को कमजोर नहीं करती।
काश! तुम फिर से मिल जाती,
चाहे कुछ ही पल संग बिता जाती।
अक्सर हो जाती है…
तुम्हें याद कर आंखें नम,
काश! तुम आकर…
मेरे अश्क मिटा जाती।
कभी पहली धड़कन दी थी तुम्हें..
आज फिर मेरी बाहों में समा जाती।
तुम्हारा आना है, गर नामुमकिन..
मुझे ही अपने पास बुला लेती।
काश! तुम फिर से आ जाती।
बस एक बार तो मिल जाती।।