2394.पूर्णिका
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2394.पूर्णिका
🌹कहना नहीं चाहता पर कह देता हूँ 🌹
2212 2122 22 22
कहना नहीं चाहता पर कह देता हूँ ।
परेशान है वेदना पर कह देता हूँ ।।
अहसास तो रोज करते दिल ये अपना।
दुनिया यहाँ सितमगर पर कह देता हूँ ।।
रोशन यहाँ जिंदगी भी करता सूरज ।
अपनी कहाँ हसरतें पर कह देता हूँ ।।
सावन बरसते फुहारें प्यारी लगती ।
बरसात की ले मजा पर कह देता हूँ ।।
यूं चेहरा दमकता फूलों सा खेदू ।
मिलती जहाँ मंजिलें पर कह देता हूँ ।।
…………..✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
12-7-2023बुधवार