2344.पूर्णिका
2344.पूर्णिका
बेहया जमाना क्या कीजिए
212 1222 212
बेहया जमाना क्या कीजिए ।
रोज आजमाना क्या कीजिए ।।
जिंदगी कभी रूलाती यहाँ ।
तो कभी खपाती क्या कीजिए ।।
मेहनत खिलाती है रोटियाँ ।
खून है पसीना क्या कीजिए ।।
बात काश करते कुछ प्यार की ।
नफरतें मिटे ना क्या कीजिए ।।
ख्वाब है परिंदा खेदू जहाँ ।
हार जीत अपनी क्या कीजिए ।।
…………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
14-6-2023बुधवार