दिल के दरवाजे भेड़ कर देखो – संदीप ठाकुर
दिल के दरवाजे भेड़ कर देखो
जख़्म सारे उधेड़ कर देखो
बंद कमरे में आईने से कभी
तुम मेरा जिक्र छेड़ कर देखो
संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
दिल के दरवाजे भेड़ कर देखो
जख़्म सारे उधेड़ कर देखो
बंद कमरे में आईने से कभी
तुम मेरा जिक्र छेड़ कर देखो
संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur