2327.पूर्णिका
2327.पूर्णिका
🌹निज स्वार्थ में डूबे हुए 🌹
2212 2212
निज स्वार्थ में डूबे हुए ।
सब ख्वाब में डूबे हुए ।।
ये जिंदगी क्या जिंदगी।
रूवाब में डूबे हुए ।।
पानी बुझाते प्यास भी ।
जब शराब में डूबे हुए ।।
हालात क्या है आजकल ।
आदाब में डूबे हुए ।।
कहते सही खेदू यहाँ ।
बहिसाब में डूबे हुए ।।
………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
31-5-2023बुधवार