23/76.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/76.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
🌷 माटी हमर महतारी हरे 🌷
22 212 2212
माटी हमर महतारी हरे।
सिरतो सुघ्घर चिंहारी हरे।।
सुख दुख अउ मया पीरा इहां।
महकत अपन फुलवारी हरे।।
रोज बहावत पसीना जिहां ।
संगी सफर हितकारी हरे।।
हाँसत देखत कुलकत रतिहा।
हिरदे अपन बलिहारी हरे।।
रखथे ये पक्का खेदू वचन ।
जिनगी भर संगवारी हरे।।
…………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
26-10-2023गुरुवार