Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Jan 2024 · 1 min read

23/220. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*

23/220. छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
🌷 नवा नवा रस्ता हवे🌷
1212 1212
नवा नवा रस्ता हवे।
लहू इहां सस्ता हवे।।
नई लगय दवा दुआ।
बने बुना दस्ता हवे।।
रसा रसा रसे रसा।
खरा खरा खस्ता हवे।।
पढ़े लिखे सबो बढ़े।
सुघ्घर अपन बस्ता हवे।।
मया खेदू करय जिहां ।
रखे रखा लस्ता हवे।।
…………✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
01-01-2024सोमवार

128 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
प्रेम के मायने
प्रेम के मायने
Awadhesh Singh
जिस दिन आप दिवाली के जगह धनतेरस को मनाने लगे उस दिन आप समझ ल
जिस दिन आप दिवाली के जगह धनतेरस को मनाने लगे उस दिन आप समझ ल
Rj Anand Prajapati
ट्रेन संख्या १२४२४
ट्रेन संख्या १२४२४
Shashi Dhar Kumar
श्री राम
श्री राम
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
कुण्डलिया छंद
कुण्डलिया छंद
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
हम कहाँ से कहाँ आ गए हैं। पहले के समय में आयु में बड़ों का स
हम कहाँ से कहाँ आ गए हैं। पहले के समय में आयु में बड़ों का स
इशरत हिदायत ख़ान
इस दुनिया में सिर्फ मोबाइल को ही पता होता है उसका मालिक का क
इस दुनिया में सिर्फ मोबाइल को ही पता होता है उसका मालिक का क
Ranjeet kumar patre
भगवता
भगवता
Mahender Singh
हार मैं मानू नहीं
हार मैं मानू नहीं
Anamika Tiwari 'annpurna '
अपनी आंखों को मींच लेते हैं।
अपनी आंखों को मींच लेते हैं।
Dr fauzia Naseem shad
— नारी न होती तो —
— नारी न होती तो —
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
"दर्पण बोलता है"
Ekta chitrangini
बस यूं बहक जाते हैं तुझे हर-सम्त देखकर,
बस यूं बहक जाते हैं तुझे हर-सम्त देखकर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
" कभी "
Dr. Kishan tandon kranti
প্রফুল্ল হৃদয় এবং হাস্যোজ্জ্বল চেহারা
প্রফুল্ল হৃদয় এবং হাস্যোজ্জ্বল চেহারা
Sakhawat Jisan
पहले जो मेरा यार था वो अब नहीं रहा।
पहले जो मेरा यार था वो अब नहीं रहा।
सत्य कुमार प्रेमी
खो गईं।
खो गईं।
Roshni Sharma
#दिनांक:-19/4/2024
#दिनांक:-19/4/2024
Pratibha Pandey
हम जिसे प्यार करते हैं उसे शाप नहीं दे सकते
हम जिसे प्यार करते हैं उसे शाप नहीं दे सकते
DR ARUN KUMAR SHASTRI
धरती के कण कण में श्री राम लिखूँ
धरती के कण कण में श्री राम लिखूँ
हरीश पटेल ' हर'
तवाफ़-ए-तकदीर से भी ना जब हासिल हो कुछ,
तवाफ़-ए-तकदीर से भी ना जब हासिल हो कुछ,
Kalamkash
बातें कल भी होती थी, बातें आज भी होती हैं।
बातें कल भी होती थी, बातें आज भी होती हैं।
ओसमणी साहू 'ओश'
वो सबके साथ आ रही थी
वो सबके साथ आ रही थी
Keshav kishor Kumar
अधर घटों पर जब करें,
अधर घटों पर जब करें,
sushil sarna
6
6
Davina Amar Thakral
दिये को रोशननाने में रात लग गई
दिये को रोशननाने में रात लग गई
कवि दीपक बवेजा
तेवरी
तेवरी
कवि रमेशराज
क्या? किसी का भी सगा, कभी हुआ ज़माना है।
क्या? किसी का भी सगा, कभी हुआ ज़माना है।
Neelam Sharma
4432.*पूर्णिका*
4432.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
शरीर जल गया, मिट्टी में मिल गया
शरीर जल गया, मिट्टी में मिल गया
Sonam Puneet Dubey
Loading...