23/193. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/193. छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
🌷 खुद ला हुसियार समझथे🌷
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खुद ला हुसियार समझथे।
हमला बेकार समझथे।।
सेखी मारत रथे इहां ।
चुतिया संसार समझथे।।
कोनो जानय नहीं दरद ।
मनखे बीमार समझथे।।
तै रोज सुधार ले बुजा।
लबरा सरकार समझथे।।
खेदू के गोठ सुन सुघ्घर ।
बस बेड़ापार समझथे ।।
…..✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
16-12-2023शनिवार