23/174.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/174.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
🌷 अंतस के बात ला मानस नहीं🌷
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अंतस के बात ला मानस नहीं ।
मनखे के जात ला जानस नहीं ।।
सिरतो पीरा घलो देथे मया।
अइसन सौगात ला खानस नहीं ।।
मंजिल हा किस्मत ले मिलथे इहां।
तेहर उजियार ला लानस नहीं ।।
जिनगी बनथे सुघ्घर तै देख ले।
काबर सीना अपन तानस नहीं ।।
दुनिया बदलत रथे खेदू जिहां ।
कइसन चानी हवे चानस नहीं ।।
…….✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
04-12-2023 सोमवार